Wednesday, July 9, 2008

ये कुछ शब्द मैने कही से लिए हैं ...
जो मुझे बहुत अच्छे लगे मैं ये आप से पूछता हूँ
की आप को ये कैसे लगे ....... ___________________________________________________________________________ "ना गरज किसी से ना वास्ता,
मुझे काम अपने ही काम से,
तेरे ज़िक्र से, तेरे फ़िक्र से, तेरे याद से,
तेरे नाम से… ये किताबे-दिल की हैं आयतें,
मैं बतौन क्या, जो है निसबतें,
मेरे सजदा-ए-दावाँ को तेरे नक्श हाए खीराम से….
जो उठा है दर्द उठा करे,
कोई खाक उस से गीला करे,
जिसे ज़िद हो हुस्न के ज़िक्र से जिसे छिड़ हो इश्क़ के नाम से….
वही कॅज़म-ए-हूर फदाक गयी,
अभी पी ना थी की बहक गयी,
कभी यकबयक जो छलक गयी किसीरिन्दरिन्द-ए-मस्त के जाम से….
तू हज़ार उजर करे मगर,
हूमें रश्क और ही है जिगर,
तेरे इज़तरबे-निगाह से तेरे एहतियाते कलाम से… _______________________________________________________
Thats all
Friends
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