Saturday, September 13, 2008

मजेदार था ना !!!

निरंजन सिंह

Wednesday, September 10, 2008

क्यूं कहते हो मेरे साथ कुछ भी बेहतर नही होता

सच ये है के जैसा चाहो वैसा नही होता

कोई सह लेता है कोई कह लेता है क्यूँ

की ग़म कभी ज़िंदगी से बढ़ कर नही होता

आज अपनो ने ही सीखा दिया हमे

यहाँ ठोकर देने वाला हर पत्थर नही होता

क्यूं ज़िंदगी की मुश्क़िलो से हारे बैठे होइ

सके बिना कोई मंज़िल, कोई सफ़र नही होता

कोई तेरे साथ नही है तो भी ग़म ना कर

ख़ुद से बढ़ कर कोई दुनिया में हमसफ़र नही होता


ये कुछ शब्द मैने कही से लिए हैं ...
जो मुझे बहुत अच्छे लगे मैं ये आप से पूछता हूँ
की आप को ये कैसे लगे .......

................. निरंजन